लंबन विधि :-
बहुत बड़ी दूरियों, जैसे ग्रह अथवा तारे की पृथ्वी से दूरी को मीटर पैमाने की सहायता से ज्ञात नहीं किया जा सकता है।ऐसी स्थिति में हम लंबनविधि का उपयोग करते हैं ।
लंबन :-
जब हम किसी भी वस्तु ( जैसे पेन, पेंसिल ) को अपनी आँखों के सामने पकड़ते हैं , और दीवार के किसी बिंदु को आधार मानकर वस्तु को पहले अपनी बायीं आंख से दायीं आंख बंद रखते हुए देखते हैं और फिर दायीं आंख 20 से बायीं आँख बंद रखते हुए देखते हैं ,तो हम पाते हैं की दीवार के उस बिंदु के सापेक्ष वस्तु की स्थिति परिवर्तित होती प्रतीत होती है ,इस स्थिति को लंबन कहा जाता है ।
आधारक :-
दोनों प्रेक्षण बिंदुओं के बीच की दूरी को आधारक कहा जाता है । इस उदाहरण में दोनों आँखों के बीच की दूरी आधारक हैं ।
लंबन कोण या लंबनिक कोण :-
दोनों प्रेक्षण बिंदुओं से वस्तु ( ग्रह ) की प्रेक्षण दिशाओं के बीच का कोण लंबन कोण या लंबनिक कोण कहलाता है ।
लंबन विधि द्वारा बड़ी दूरियों का मापन :-
माना कि एक दूरस्थ ग्रह S हैं ।
हम ग्रह को पृथ्वी पर स्थित दो अलग-अलग वेध शालाओं A तथा B से एक ही समय पर देखते हैं ।
माना कि ग्रह की पृथ्वी से दूरी ASऔर BS = D हैं ।
इन दो स्थितियों से ग्रहों की प्रेक्षण दिशाओं के बीच का लंबन कोण थीटा θ = ∠ ASB माप लिया जाता है ।
∵ ग्रह की पृथ्वी से दूरी D बहुत अधिक है ।
∴ कोण θ बहुत ही छोटा है ।
ऐसी दशा में AB को हम , केंद्र S और त्रिज्या D वाले वृत्त का , लंबाई b का चाप मान सकते हैं ।
∵ त्रिज्या AB = BS ,
∴ कोण θ = चाप / त्रिज्या
θ = b/ D
अतः दूरी D = b / θ
D ज्ञात करने के पश्चात हम लंबन विधि द्वारा ग्रह का आमाप अथवा कोणीय व्यास भी ज्ञात कर सकते हैं ।
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