प्रश्न :-- अंतरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली( S.I. ) से आप क्या समझते हैं ?
एस आई ( S.I ) पद्धति से आप क्या समझते हैं ? समझाइए ?
एस आई ( S.I ) पद्धति क्या है? एस आई पद्धति की विशेषताएं लिखिए
उत्तर :-
मात्रकों की अंतरराष्ट्रीय(S.I.) प्रणाली :-
आज के समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य प्रणाली " सिस्टम इंटरनेशनल डी यूनिट्स " है । जिसका फ्रेंच भाषा में "मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली " अर्थ है । इसे संकेत में S.I. लिखा जाता है । यह M.K.S. पद्धति का परिवर्तित रूप है । S.I. प्रतिको , मात्रकों और उनके संकेताक्षरों की योजना 1971 मैं माप तोल के महासम्मेलन द्वारा विकसित कर वैज्ञानिक , तकनीकी , औद्योगिक एवं व्यापारिक कार्यों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग हेतु अनुमोदित की गई । अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में कुल 7 मूल मात्रकों के अतिरिक्त दो पूरक मात्रक भी हैं
एस आई(S.I.) पद्धति के मूल मात्रक एवं पूरक मूल मात्रक निम्नलिखित सारणी में प्रदर्शित है :-
एस आई ( S.I. ) पद्धति की विशेषताएं निम्नलिखित हैं :-
1. इस पद्धति में एक भौतिक राशि का केवल एक ही मात्रक होता है उदाहरण के लिए ऊर्जा का मात्रक जूल है अब चाहे उर्जा किसी भी रूप में जैसे यांत्रिक उष्मीय विद्युत आदि में हो सकती है जबकि एमकेएस( M.K.S.) पद्धति में यांत्रिक ऊर्जा का मात्रक जूल , विद्युत ऊर्जा का व्यावहारिक मात्रक किलोवाट - घंटा ,उष्मीय ऊर्जा का व्यावहारिक मात्रक कैलोरी होता है
2. एस आई पद्धति गणना में आसान है क्योंकि इस पद्धति के मात्राकों को भी 10 की घातों के रूप में आसानी से व्यक्त किया जा सकता है ।
आगे सारणी में एस आई ( S.I. ) पद्धति में प्रयुक्त पूर्वलग्न उनके परिमाण तथा संकेत प्रदर्शित हैं :-
3. एस आई ( S.I. ) पद्धति में सभी व्युत्पन्न राशियों के मात्रकों को 7 मूल मात्रकों तथा दो पूरक मूल मात्रकों के पदों में बिना किसी संख्यात्मक गुणक या स्वेच्छ नियतांक लगाए व्यक्त किया जा सकता है ।
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