12th Physics chapter 1
विद्युत आवेश एवं क्षेत्र
(Electric Charges And Fields )
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर –
प्रश्न 1 :- सही विकल्प चुनिए —
- दो वस्तुओं का आपस में रगड़ने से उत्पन्न विद्युत को कहते हैं -
- घर्षण विद्युत ।
- धारा विद्युत ।
- स्थिर विद्युत ।
- इनमें से कोई नहीं ।
- Ans :- घर्षण विद्युत ।
- जिस पदार्थ में हल्की वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण उत्पन्न होता है उसे कहा जाता है -
- धन आवेशित।
- ऋण आवेशित।
- आवेशित या विधुन्मय।
- अनावेशित।
- Ans :- आवेशित या विधुन्मय ।
- वे पदार्थ जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन न बहुत अधिक और न बहुत कम होते हैं , कहलाते हैं-
- सुचालक।
- कुचालक।
- अर्धचालक।
- इनमें से कोई नहीं।
- Ans :- अर्धचालक ।
- इलेक्ट्रॉनिक आवेश ( मूल आवेश ) का मान है -
- 1.6 X 10-19 C। ( C = कूलॉम )
- 9.0 X 10-19 C।
- 5.46. X 10-19 C ।
- 6.25 X 10-19 C ।
- Ans :-1.6 X 10-19 C ।
- निर्वात की विद्युतशीलता ( ε0 )का मान है -
- 9 X 10 8 न्यूटन X मीटर ² / कूलॉम ²।
- 8.85 X 10-12 कूलॉम ² / न्यूटन X मीटर ² ।
- 9 X 109 न्यूटन X मीटर ² / कूलॉम ² ।
- X 10-7 न्यूटन X ऐम्पियर ²।
- Ans:- 8.85 X 10-12 कूलॉम² /न्यूटन X मीटर ²
- दो आवेशित कणों के बीच लगने वाला विद्युत बल पर निर्भर नहीं करता है-
- कणों के द्रव्यमान पर।
- प्रथम कण के आवेश पर।
- द्वितीय कण के आवेश पर।
- उपरोक्त में से कोई नहीं।
- Ans :- कणों के द्रव्यमान पर।
- एक कूलॉम आवेश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या होती है-
- 5.46 X 1029 ।
- 6.25 X 1018 ।
- 1.6 X 10-19 ।
- 9.0 X 1011 ।
- Ans :- 6.25 X 1018 ।
- न्यूनतम आवेश है -
- 1 कूलॉम ।
- 1 स्थैत कूलॉम ।
- 1 माइक्रो कूलॉम ।
- इलेक्ट्रॉनिक आवेश ।
- Ans :- इलेक्ट्रॉनिक आवेश ।
- धातुओं का परावैद्युतांक होता है -
- शुन्य।
- एक।
- अनंत।
- इनमें से कोई नहीं।
- Ans :- अनंत ।
- वायु का परावैद्युतांक होता है-
- 1 ।
- 2 ।
- अनंत ।
- इनमें से कोई नहीं ।
- Ans :- 1 ।
- एक वस्तु पर 80 माइक्रो कूलॉम ऋण आवेश है । उस पर सामान्य अवस्था से इलेक्ट्रॉन अधिक होंगे -
- 5 X 108 ।
- 16 X 1014 ।
- 5 X 1014 ।
- 16 X 108 ।
- Ans :- 5 X 1014 ।
- बिंदु आवेश Q के कारण r दूरी पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता E होती है -
- E ∝ r।
- E ∝ 1 / r ।
- E ∝ 1 / r ²।
- E ∝ 1 / r³ ।
- Ans :- E ∝ 1 / r ² ।
- एक गतिमान आवेश उत्पन्न करता है -
- केवल विद्युत् क्षेत्र।
- केवल चुंबकीय क्षेत्र ।
- विद्युत क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र दोनों।
- न विद्युत क्षेत्र , न चुंबकीय क्षेत्र।
- Ans :- विद्युत क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र दोनों ।
- यदि आवेशित कणों के मध्य की दूरी आधी कर दी जाती है तो कणों के मध्य लगने वाले बल का मान हो जाता है -
- एक चौथाई।
- आधा।
- दोगुना।
- चार गुना।
- Ans :- चार गुना ।
- आवेशित खोखले गोले के अंदर विद्युत क्षेत्र का मान होता है-
- अनंत।
- एक।
- शुन्य।
- इनमें से कोई नहीं।
- Ans :- शुन्य ।
- एक समान विद्युत क्षेत्र E में किसी द्विध्रुव( द्विध्रुव आघूर्ण = p ) को क्षेत्र की दिशा से 180° कोण घुमाने में किया गया कार्य होगा -
- 2 pE।
- pE।
- ½ pE।
- शुन्य।
- Ans :- 2 pE ।
- द्विध्रुव आघूर्ण p वाले द्विध्रुव के कारण इसके केंद्र से दूरी r पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता E की r पर निर्भरता होती है-
- E ∝ r।
- E ∝ 1 / r ।
- E ∝ 1 / r ²।
- E ∝ 1 / r³ ।
- Ans :- E ∝ 1 / r³ ।
- वायु में स्थित एकांक धन आवेश से निकलने वाला कुल वैद्युत फ्लक्स होता है -
- ε0 ।
- 1/ε0।
- 1/4πε0 ।
- 4πε0 ।
- Ans :- 1/ε0 ।
- विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण का मात्रक है -
- कूलॉम x मीटर ² ।
- कूलॉम x मीटर ।
- कूलॉम / मीटर ।
- कूलॉम / मीटर ² ।
- Ans :- कूलॉम x मीटर ।
- E तीव्रता वाले विद्युत क्षेत्र में आवेश q रखने पर उस पर लगने वाला बल होगा -
- F = E/q ।
- F = q/E ।
- F = qE ।
- F = E – q ।
- Ans :- F = qE ।
- विद्युत् क्षेत्र E में क्षेत्रफल S का पृष्ठ विद्युत् क्षेत्र के समांतर रखा है । पृष्ठ से सम्बध्द विद्युत फ्लक्स होगा-
- ES ।
- E/S ।
- शुन्य ।
- अनंत।
- Ans :- शुन्य ।
- विद्युत् क्षेत्र में प्रवेश करने पर , एक आवेशित कण पर लगने वाले बल का परिमाण निर्भर करता है-
- कण के आवेश पर।
- कण के वेग पर।
- विद्युत क्षेत्र की दिशा पर।
- कण के द्रव्यमान पर।
- Ans :- कण के आवेश पर ।
- एक विद्युत द्विध्रुव जिसका आघूर्ण p है , को एक विद्युत क्षेत्र E में क्षेत्र की दिशा से कोण θ घुमाने में किया गया कार्य होगा-
- pE ( 1 – cosθ ) ।
- pE ।
- शुन्य।
- – pE cosθ ।
- Ans :- pE ( 1 – cosθ ) ।
प्रश्न 2 :- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए —
- दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने से उत्पन्न विद्युत को घर्षण विद्युत कहते हैं ।
- जिस पदार्थ में हल्की वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण उत्पन्न होता है उसे विधुन्मय या आवेशित कहा जाता है ।
- दो सजातीय आवेश एक - दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं ।
- दो विजातीय आवेश एक - दूसरे को आकर्षित करते हैं।
- वे इलेक्ट्रॉन जो परमाणु में नाभिक के निकट की कक्षाओं में घूमते हैं , बद्ध इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं।
- वे इलेक्ट्रॉन जो नाभिक से दूर सबसे बाहरी कक्षा में होते हैं , मुक्त इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं ।
- घर्षण विद्युत् के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉन उत्तरदायी होते हैं ।
- वे पदार्थ जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन न बहुत अधिक और न बहुत कम होते हैं , अर्धचालक कहलाते हैं ।
- आवेश का विमीय सूत्र [ AT ] है ।
- आवेश का S.I. मात्रक कूलॉम हैं ।
- आवेश का C.G.S. पद्धति में e.s.u. मात्रक स्थैत कूलॉम हैं ।
- आवेश का C.G.S. पद्धति में e.m.u. मात्रक एब कूलॉम हैं ।
- 1 माइक्रो कूलॉम (1 μC ) = 10–6 कूलॉम ।
- 1 नैनो कूलॉम ( 1 nC ) = 10–9 कूलॉम ।
- 1 माइक्रो माइक्रो कूलॉम या 1 पिको कूलॉम ( 1 μμC या 1 PC ) = 10–12 कूलॉम ।
- दो प्रोटॉनों के बीच विद्युत् बल, उनके मध्य लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल की अपेक्षा 1036 गुना होता है ।
- दो इलेक्ट्रॉनों के बीच विद्युत् बल, उनके मध्य लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का लगभग 10 43 गुना होता है ।
- एक प्रोटॉन तथा एक इलेक्ट्रॉन के बीच विद्युत् बल, उनके मध्य लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का लगभग 1039 गुना होता है ।
- विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता का S.I. मात्रक न्यूटन /कूलॉम है ।
- विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है ।
- विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता ( विद्युत क्षेत्र ) का विमीय सूत्र [MLT–3A–1] है ।
- किसी आवेश को विद्युत् क्षेत्र के लंबवत् ले जाने पर किया गया कार्य शुन्य होगा ।
- द्विध्रुव आघूर्ण p एक सदिश राशि है ।
- द्विध्रुव आघूर्ण का S.I. मात्रक कूलॉम मीटर है ।
- द्विध्रुव आघूर्ण का C.G.S. मात्रक स्थैत कूलॉम सेमी है ।
- द्विध्रुव आघूर्ण का विमीय सूत्र [LTA] है ।
- वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण का सूत्र p = 2q.l ( l = L )है ।
- एक आदर्श द्विध्रुव का आकार बिंदु आकार का होता है ।
- दो बिंदु आवेश -q तथा +q दूरी l पर स्थित हैं । द्विध्रुव आघूर्ण q . l होगा ।
- एक समान विद्युत क्षेत्र E में द्विध्रुव आघूर्ण p पर लगने वाला अधिकतम बल आघूर्ण pE होता है ।
- विद्युत् फ्लक्स एक अदिश राशि है ।
- विद्युत् फ्लक्स का S.I. मात्रक न्यूटन × मीटर²/ कूलॉम है ।
- विद्युत् फ्लक्स का विमीय सूत्र [ML3 T–3A–1] हैं ।
- वैद्युत द्विध्रुव के किसी एक आवेश और दोनों आवेशों के बीच की दूरी के गुणनफल को वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण कहते हैं ।
- गॉस के नियम के अनुसार किसी बंद पृष्ठ से सम्बध्द कुल विद्युत् फ्लक्स उसके भीतर उपस्थित आवेशों के बीजीय योग का 1/ ε0 गुना होता है ।
- एक समान आवेशित कुचालक गोले सिरे के अंदर विद्युत् क्षेत्र शुन्य होता है
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Welldone
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